सुभाषित 3TutuMeme Team !Dec 3, 20171 min readएकवर्णं यथा दुग्धं भिन्नवर्णासु धेनुषु । तथैव धर्मवैचित्र्यं तत्त्वमेकं परं स्मृतम् ॥जिस प्रकार विविध रंग रूप की गायें एक ही रंग का (सफेद) दूध देती है, उसी प्रकार विविध धर्मपंथ एक ही तत्त्व की सीख देते है
एकवर्णं यथा दुग्धं भिन्नवर्णासु धेनुषु । तथैव धर्मवैचित्र्यं तत्त्वमेकं परं स्मृतम् ॥जिस प्रकार विविध रंग रूप की गायें एक ही रंग का (सफेद) दूध देती है, उसी प्रकार विविध धर्मपंथ एक ही तत्त्व की सीख देते है
सुभाषित 5कन्या वरयते रुपं माता वित्तं पिता श्रुतम् बान्धवा: | कुलमिच्छन्ति मिष्टान्नमितरेजना: || विवाह के समय कन्या सुन्दर पती चाहती है| उसकी...
सुभाषित 4अलसस्य कुतो विद्या अविद्यस्य कुतो धनम् । अधनस्य कुतो मित्रम् अमित्रस्य कुतो सुखम् ॥ आलसी मनुष्य को ज्ञान कैसे प्राप्त होगा ? यदि ज्ञान...
सुभाषित 2शैले शैले न माणिक्यं मौक्तिकं न गजे गजे । साधवो न हि सर्वत्र चन्दनं न वने वने ।। - हितोपदेश हर एक पर्वत पर माणिक नहीं होते, हर एक हाथी...
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